सफलता, निरंतर प्रयास से ही मिलती है : सौरभ बागडे
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उभरते सितारे मे 'लक्ष्य'
नागपुर। जैसे पानी के जहाज में दिशा दर्शक कंपास होना जरूरी है। वैसे ही जिंदगी में छोटा या बड़ा लक्ष्य होना जरूरी है। कुछ लोगों को जल्दी समझ में आता है कि क्या बनना है और कुछ लोगों को देर से समझ आता है। लक्ष्य आप कब सेट करते हैं, इसकी कोई उम्र की सीमा नहीं है। लक्ष्य की प्राप्ति में कई बार बाधाएं आती है, फेल होना पड़ता है ।लेकिन, यही आपकी जीत का रास्ता होता है। सफलता, निरंतर प्रयास से ही मिलती है। जैसे हथौड़ी से कोई पत्थर तोड़ता है तो उसके लिए कई बार चोट करना पड़ता है तब आखिरी प्रयास में वह टूटता है।
इसका मतलब यह नहीं कि पहले के सारे प्रयास असफल रहे। बस, अपने आप को गिव अप नहीं करना है। लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखो, धैर्य रखो, फेल होने से घबराओ मत, आत्मविश्वास बनाए रखो।सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। सिर्फ, लगातार प्रयास ही है एकमात्र रास्ता है। यह विचार, सौरभ बागडे ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखें। तथा, लक्ष्य की प्राप्ति को फुटबॉल और क्रिकेट के बहुत सुंदर उदाहरण देकर बच्चों को समझाया।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे' का आयोजन हिंदी मोर भवन के उत्कर्ष हॉल में किया गया। कार्यक्रम का विषय 'लक्ष्य' पर आधारित शिक्षाप्रद और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरा रहा। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में नेशनल इंश्योरेंस लिमिटेड के मुख्य व्यवसाय प्रबंधक सौरभ बागडे जी उपस्थित थे। इनका सम्मान संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। कार्यक्रम के शुरुआत में प्रस्तावना रखते हुए प्रशांत शंभरकर ने लक्ष्य विषय पर बच्चों को अच्छा इंसान बनने तथा देश के प्रति समर्पित जिम्मेदार नागरिक बनने पर जोर दिया।
तत्पश्चात, परीक्षा का समय होने के बावजूद बच्चों की प्रस्तुतियां सराहनीय रही। जिसमें, देवांशी जितेन्द्र बिलावणे, देवांशी पटनायक और हिरण्या चरडे ने शानदार नृत्य से सबका दिल जीत लिया। शौर्य बागडे, देवांशी पटनायक, भव्या अरोरा, धनंजय गाडे और आदित मींज आदि ने सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी।
बच्चों की प्रस्तुतियों को उनके अभिभावकों के साथ-साथ श्रुतिका धनविजय, अंजु बिलावणे, दिप्ती योगेश चरडे, प्रतिमा बिलावणे, आशा वेदप्रकाश अरोरा, गीता सुरेश मिंज, देवस्मिता पटनायक, सीमा लूहा, वैशाली मदारे आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन एवं उपस्थित सभी दर्शकों, कलाकारों और बच्चों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया ।