आजकल के बच्चे बहुत समझदार और विज्ञानशील है : श्री मोहनजी
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उभरते सितारे मे 'संस्कार'
नागपुर। आजकल के बच्चे बेहद प्रतिभावान है। यह बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूदों में भी बहुत आगे है। यह जेनरेशन बहुत समझदार और विज्ञानशील है। संस्कारित रूप से यह बच्चे बहुत सक्षम है। कॉम्पिटीशन के युग में भी यह बच्चे पीछे नहीं हटते और बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। यह विचार सीएमपीडीआईएल के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक श्री मोहनजी ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखें।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को समर्पित उपक्रम 'उभरते सितारे' का आयोजन हिंदी मोर भवन के उत्कर्ष हॉल में किया गया। कार्यक्रम का विषय 'संस्कार' पर आधारित शिक्षाप्रद ज्ञानवर्धक और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरा रहा। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप मे वेकोलि के सेवानिवृत्त इंजीनियर कालिदास कुलकर्णी उपस्थित थे।
इनका सम्मान संयोजक युवराज चौधरी ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। अपने संबोधन में कालिदास कुलकर्णी ने कहां की यह नन्हे नन्हे बच्चे आने वाले कल के सितारे हैं। उनकी मेहनत के लिए इन सब के माता-पिता को नमन। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध संतूर वादक पंडित वाल्मीक धांडे प्रमुखता से उपस्थित थे।
तत्पश्चात, गीत संगीत से बच्चों की प्रस्तुतियां सराहनीय रही। जिसमें, संपूर्णा रेमंडल ने 'संस्कार' विषय पर शानदार कविता सुनाई। मध्य भारत के सुप्रसिद्ध संतूर वादक पंडित वाल्मिक धांडे सर की शिष्या कु. ध्रुवी मनोज गजभिए ने संतूर पर राग किरवानी बजा कर सबको मोहित कर लिया। तबले पर इनका बेहतरीन साथ विपुल ढोले ने दिया। शुभ्रा सुरेश बुटके, संपूर्णा रेमंडल ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी।
स्वर्णिम महेंद्र सिरसाट, अदित मींज, जिनीषा भोजवानी, भव्य अरोड़ा आदि ने अपने शानदार गीतों से दिल जीत लिया।
बच्चों की प्रस्तुतियों को उनके अभिभावकों के साथ-साथ स्नेहल सुरेश बुटके, प्रिया गजभिए, मीनाक्षी केसरवानी, मनोज गजभिए, गीता सुरेश मिंज, वैशाली मदारे, नम्रता भोजवानी, मोनिका रेमंडल, वेदप्रकाश अरोरा, भरत गंगवानी, डॉ. विजय श्रीवास्तव, डॉ. विनोद बालकोटे आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग दिया। कार्यक्रम का संचालन एवं उपस्थित सभी दर्शकों, कलाकारों और बच्चों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया।


