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शिक्षा, संस्कार और संकल्प की स्वर्णिम यात्रा


मोटवानी मैडम और संजूबा ग्रुप ऑफ स्कूल्स के 50 गौरवशाली वर्ष

ममता की सजीव प्रतिमा, त्याग और समर्पण की अनुपम मिसाल मोटवानी मैडम का व्यक्तित्व शिक्षा क्षेत्र में प्रेरणा का उज्ज्वल दीपस्तंभ है। ईश्वर प्रदत्त जीवन को सार्थक बनाना ही उनका ध्येय रहा है। उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी किया, उससे उन्हें गहरा आत्मसंतोष है। संस्कार, नैतिकता, ईमानदारी और कठोर परिश्रम उनके जीवन और कार्यशैली की आधारशिला रहे हैं। अनुशासन और दृढ़ संकल्प की ऐसी मिसाल उन्होंने प्रस्तुत की है कि आज भी हर कोई उनके जज़्बे को नमन करता है।

मोटवानी मैडम ने 1 जुलाई 1975 को संजूबा स्कूल की प्राथमिक शाखा की शुरुआत की। यह केवल एक स्कूल की स्थापना नहीं थी, बल्कि पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्र के बच्चों के भविष्य को संवारने का एक संकल्प था। गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों को कम से कम शुल्क में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना—यह सिद्धांत आज भी संजूबा संस्था की पहचान बना हुआ है।

प्रधानाध्यापिका और डायरेक्टर के रूप में कार्य करते हुए मोटवानी मैडम को शिक्षा क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाज़ा गया। किंतु पुरस्कारों से अधिक उनके लिए विद्यार्थियों का उज्ज्वल भविष्य ही सबसे बड़ा सम्मान रहा है।

संजूबा हाईस्कूल ने 1993 में इतिहास रच दिया, जब विद्यालय के विद्यार्थियों ने दसवीं की परीक्षा में महाराष्ट्र में प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त किए। इस अभूतपूर्व सफलता ने शिक्षा जगत के नामी-गिरामी विद्यालयों को भी आश्चर्यचकित कर दिया। वह सफलता किसी संयोग का परिणाम नहीं थी, बल्कि मोटवानी मैडम की दूरदृष्टि, शिक्षकों की निष्ठा और विद्यार्थियों की मेहनत का फल थी। आज भी संजूबा हाईस्कूल का दसवीं का परिणाम वर्षों से शत-प्रतिशत बना हुआ है।

मोटवानी मैडम का दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा से पहले संस्कार आवश्यक हैं। वे विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन, समय का महत्व, मन पर नियंत्रण और जीवन मूल्यों की सीख देती हैं। उनका मानना है कि विद्यालय मंदिर के समान पवित्र स्थान होना चाहिए, जहाँ ज्ञान के साथ-साथ चरित्र निर्माण भी हो। ईमानदारी और विश्वास उनके जीवन के मूल मंत्र हैं, इसी कारण स्कूल से जुड़े सभी लोगों के मन में उनके प्रति गहरा सम्मान है।

स्कूल के विस्तार और विकास में सुधाकरराव पाटील का सहयोग मोटवानी मैडम को सदैव प्राप्त रहा। वे उन्हें अपना धर्मभाई मानती थीं। दुर्भाग्यवश, वर्ष 2022 में पाटील सर का निधन हो गया। उनका जाना संस्था के लिए अपूरणीय क्षति रही, किंतु उनके योगदान की छाप संजूबा स्कूल की प्रगति में आज भी स्पष्ट दिखाई देती है।

संजूबा स्कूल ने केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और कला क्षेत्र में भी अपना विशिष्ट नाम कमाया है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान देते हुए स्कूल ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। 

27 दिसंबर को 85 वर्ष पूर्ण कर रही मोटवानी मैडम, आज भी प्रतिदिन स्कूल में उपस्थित रहकर संस्था का कार्य संभालती हैं। वे कभी अपनी सेहत को काम के आड़े नहीं आने देतीं। उनके लिए काम ही लक्ष्य है, सेवा ही साधना है।

इस वर्ष नूतन शिक्षण संस्था द्वारा संचालित संजूबा ग्रुप ऑफ स्कूल्स अपने गोल्डन जुबली वर्ष में प्रवेश कर रहा है - 50 वर्षों का गौरवशाली इतिहास, जो शिक्षा, संस्कार, अनुशासन और सामाजिक प्रतिबद्धता की मजबूत नींव पर खड़ा है। यह स्वर्ण जयंती केवल एक संस्था का उत्सव नहीं, बल्कि हजारों विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कहानी है।

- दिवाकर मोहोड
   नागपुर, महाराष्ट्र 
समाचार 7846944403601686453
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